hum hia jee

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Wednesday, February 10, 2010

व्यंज़ल

व्यंज़ल
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पूछते हो कि क्यों मैं गरीब हूँ

तेरे राज में जानम मैं गरीब हूँ



दर्द का अहसास है न भूख का

सबब बस ये है कि मैं गरीब हूँ



मेरी तो समस्या है बड़ी अजीब

सोने के ढेर पे बैठा मैं गरीब हूँ



अमीरों के इस भीषण शहर में

मुझे तो फख्र है कि मैं गरीब हूँ



टाँग दी गई तख्ती रवि पर भी

सबने मान लिया है मैं गरीब हूँ

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