परिवर्तन संसार का नियम है और इस नियम से मीडिया जगत भी अछूता नहीं है। समाचार, विचार और सूचनाएं पाने के पहले जहां दो मुख्य स्त्रोत अखबार और रेडियो थे, वहीं इसमें समय के साथ परिवर्तन देखने को मिले और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम यानी टेलीविजन ने इस ओर कदम रखे। उस समय अनेक लोगों की राय उभरी की समाचार और सूचना का यह माध्यम बेहद सशक्त है जो अखबार एवं रेडियो को जल्दी ही इतिहास बना देगा। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत रही। टीवी न्यूज चैलनों के विकास के साथ-साथ अखबार पढ़ने और रेडियो सुनने वालों की संख्या में कहीं कोई कमी दिखाई नहीं दी। रेडियो का जहां एफएम फ्रीकवेंसी पर विस्तार हो रहा है, वहीं अनेक नए अखबारों के आने के साथ पुराने अखबारों के नए-नए संस्करण निकल रहे हैं। अब इस कड़ी में वेब पत्रकारिता जुड़ गई है।
हालांकि वेब पत्रकारिता एकदम नई नहीं है। भारत में इसका आगमन तकरीबन दस साल पहले हुआ। लेकिन डॉट कॉम कंपनियों की माली हालत वर्ष 2002 के आसपास इतनी तेजी से बिगड़ी की, इस पत्रकारिता के अस्तित्व पर ही सवाल लग गया। लेकिन कुछ कंपनियों ने अपनी समाचार वेबसाइटों को जैसे-तैसे जीवित रखा और विज्ञापनों खासकर गुगल सर्च इंजन जैसे विज्ञापनों और दूसरे उत्पादों की सेवाओं के सहारे इन्हें बनाए रखा। हालांकि, जब से अखबारों ने अपनी वेबसाइटों को बनाया है, मीडिया के इस माध्यम में फिर से जोश दिखाई दे रहा है। इस जोश को बढ़ाने में बड़ा योगदान विदेशी कंपनियों गुगल, याहू और एमएसएन का भी है जो हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के महत्व को समझते हुए इन्हें तेजी से अपने यहां जगह दे रही हैं। जागरण अखबार और याहू ने पिछले दिनों एक पोर्टल बनाने का जो करार किया है वह इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इस पोर्टल पर सभी की नजरें गड़ी हैं और इसके आगमन से वेब पत्रकारिता को वेग मिलेगा। वेब पत्रकारिता जगत में अभी तक एक अच्छी शब्दावली भी नहीं बन पाई है, जो एक बड़ी कमी है। अखबार में जहां हम समाचार पढ़ते हैं, वहीं इलेक्ट्रॉनिक और रेडियो माध्यम में उन्हें सुनते हैं, जबकि वेब में समाचारों को देखा जाता है। पढ़ने, सुनने और देखने की अलग-अलग विशेषताओं की वजह से यहां काम में आने वाले शब्दों का चयन भी इसी के अनुरुप करना पड़ता है। तीनों माध्यमों के शब्दों को एक दूसरे में काम में लेने से इसका वास्तविक आनंद कम हो जाता है। इस समय वेब में जो कुछ लिखा जा रहा है, उसमें लेखक जो लिख रहे हैं या फिर जो समाचार आ रहे हैं वे जस के तस जा रहे हैं। वेब पत्रकारिता के लिए जरुरी देखने वाले शब्दों को गढ़ने का कार्य अभी शुरू नहीं हुआ है। यहां एक और अहम बात देखें तो वेब पत्रकारिता में आने वाले पूर्णकालिक पत्रकारों की संख्या प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की तुलना में काफी कम है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में काम कर रहे पत्रकारों का ही वेब पत्रकारिता में अधिक योगदान है। इन्हीं माध्यमों के पत्रकार समय-समय पर स्टोरी और लेख से वेब पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं।
पत्रकारिता में आने वाले नए चेहरों का पहला आकर्षण इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और दूसरा प्रिंट माध्यम है। लेकिन वेब पत्रकारिता आने वाले समय का सशक्त माध्यम है और इसे इस समय की बुनियादी मेहनत से ताकतवर बनाया जा सकता है जिसके लिए नए चेहरे कम ही तैयार दिख रहे हैं। यहां एक गलतफहमी भी दूर करना चाहेंगे कि कुछ लोग मानते हैं कि वेब का मतलब है कि दफ्तर या घर में बैठकर समाचारों, विचारों और स्टोरी का अनुवाद अथवा संपादन कर वेबसाइट में डालना। लेकिन यह पूरी तरह गलत है। हालांकि, जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे यह जान लें कि उनकी वेबसाइट इस समय चल सकती है लेकिन उनका अंत भी नजदीक है। समाचारों के लिए चल रही वेबसाइटें न्यूज एजेंसियों का वैसे ही सहारा ले रही है, जैसा कि प्रिंट, रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम वाले लेते हैं। अनेक समाचार वेबसाइटों के पास रिपोर्टरों की भी टीम है जो तेजी से समाचार अपडेट कर रहे हैं। अपनी रिपोर्टर टीम खड़ी कर वेबसाइट पर आने वाले वर्ग की जरुरत की नब्ज को पहचानकर जो समाचार व सूचनाएं देगा वही वेबसाइट आगे चल पाएगी। देश में तेजी से बढ़ रहे कंप्यूटरीकरण और ब्राड बैंड सेवा ने वेब पत्रकारिता के विस्तार को भी बढ़ाया है। जहां अभी भी टीवी चैनल और अखबारों की पहुंच नहीं बन पाती है, वहां इंटरनेट कनेक्शन लोगों को देश दुनिया के साथ संपर्क में रख सकता है। अखबारों के ई संस्करण उन क्षेत्रों में आसानी से पहुंच जाते हैं, जहां उनकी छपी कॉपियां नहीं पहुंच पाती। अब इसमें एक और परिवर्तन देखने को मिला है और वह है मोबाइल सेवाओं का विस्तार। डेस्क टॉप या लैपटॉप न होने की दिशा में मोबाइल पर वेबसाइट खोलकर समाचारों और सूचनाओं को जाना जा सकता है। हालांकि, देश में बिजली की कमी, कंप्यूटर की लागत और ब्राड बैंड सेवा/इंटरनेट उपयोग का महंगा शुल्क वेब के विस्तार में मुख्य अड़चन है, लेकिन देश को आर्थिक महासत्ता बनाने के लिए बुनियादी सुविधाओं जिसमें बिजली भी शामिल है, को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले कुछ वर्षों में बिजली की कमी पूरी तरह दूर हो जाएगी। साथ ही ब्राड बैंड सेवा अपने विस्तार के साथ सस्ती होती जाएगी। इसी तरह कंप्यूटरों की लागत को भी पिछले कुछ वर्षों में वाकई कम किया गया है और आज एक लैपटॉप, डेस्कटॉप से सस्ता हो गया है। लेकिन अभी इसके दाम और नीचे लाने की जरुरत है जिसके प्रयास चल रहे हैं। इन तीन पहलूओं पर यदि तेजी से काम होता है तो समाचार और सूचनाओं का अगला सबसे ताकतवर माध्यम वेब पत्रकारिता ही होगा, इसमें अचरज नहीं है।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की तुलना में वेब पत्रकारिता बाल्यवस्था से गुजर रही है, इसे युवा बनने दीजिए फिर यह भी तेजी से दौड़ेगी। आइए स्वागत करें पत्रकारिता के इस शिशु का। वेब पत्रकारिता के भविष्य पर केंद्रित मीडिया विमर्श का यह अंक आपको कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया से हमें जरुर अवगत कराएं।
2 comments:
very nice..carry on....
thnk,s
Post a Comment