मिले राम को विश्वमित्र,, एकलव्य को द्रोणाचार्य मिलें,
कबिरा को रामान्द मिलें, हमको बस गुरु का प्यार मिले।
यदि विश्वमित्र ने रघुवर को शिक्षा का कोई दान दिया,
प्रभु ने भी उनकी रक्षा में वन में धनु का संधान किया।
आचार्य द्रोण ने शिक्षा के बदले में अँगूठा माँग लिया,
तो रामानंद ने भी कबीर पर पैर धरा तब ज्ञान दिया।
हम से सर उन ने कुछ लिया नही,
बस प्यार दिया, बस प्यार लिया
हमको भाविष्य में भी उनसे
ये प्यार भरा आगार मिले।
कबिरा को रामान्द मिलें. हमको बस गुरु का प्यार मिले।
होंगे कितने ही शिष्य, आप पर है अधिकार अनेकों का,
इस तुच्छ चीज़ सी कंचन को पर दे दें इतना सा मीका,
जब नेह सभी को बाँट चुकें,छोड़े से गुरुवर हाथ रुकें,
एक नेह दृष्टि दीजेगा डाल, जिससे मेरा संसार खिले,
कबिरा को रामान्द मिलें. हमको बस सर का प्यार मिले।
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