hum hia jee

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Tuesday, August 18, 2009

vichaar

सम्पादकीय- कानून से ऊपर मानने की वीआईपी सोच
भारत में खास लोगों को आम लोगों वाले नियम पालन करने की आदत नहीं है और वह विदेश में भी वीआईपी सुविधा चाहते हैं।

हवाई जहाज में चढ़कर हम जाएंगे दफ्तर
उस छोटे से प्लेन का दरवाजा बंद होता, उससे पहले ही मैं उसमें चढ़ने के लिए भागी।

संपादकीय- लाल किले से पानी बचाओ की गूंज
प्रधानमंत्री द्वारा पानी बचाओ का नारा देने के बाद उम्मीद है कि आम आदमी पानी का महत्व समझेगा और इसके संरक्षण का प्रयास करेगा।

नक्शा अभी बनाएंगे रंग भरेंगे अगले महीने
सुखिया तो रहा सुखिया। किसी से क्या लेना और क्या देना। अपनी ही सोचना और अपनी ही सोचवाना। मास्टरजी ने कह दिया कि कल

संपादकीय- बासठ वर्ष की आजादी और हमारा आशावाद
1947 में जो आशावाद, जो हौसला देश की सबसे महत्वपूर्ण पूंजी था,

दिल्ली में थी उत्साह की लहर
लोग आसमान में गोलियां दाग रहे थे, पटाखे छोड़े जा रहे थे, मंदिरों की घंटियां घनघना रही थीं।

वह भी तो है आदमी
हमारे देश में सदियों से इंसानों द्वारा मैला ढोने की कुप्रथा जारी है।

सम्पादकीय
केंद्रीय वित्तमंत्री द्वारा प्रस्तुत टैक्स कोड का मूल मंत्र यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को आसानी से कर जमा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

अगस्त के तानपूरे पर आजादी का राग
देश की आजादी की ६२वीं वर्षगांठ पर मेरा देशप्रेम फिर ठाठे मार रहा है।

संपादकीय - सूची को सजा और भारत की चुप्पी
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत एक तानाशाही का न सिर्फ समर्थन करता है, बल्कि खुलेआम हो रहे अन्याय के खिलाफ मुंह नहीं खोलता।

संयोग से हुई थी जंगरहित लोहे की खोज
आज घर-घर में आमतौर पर इस्तेमाल में आने वाले स्टेनलेस स्टील की खोज का इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नहीं है।

डॉन से - संघर्ष की शुरुआत का संकेत
अवैध रूप से नजरबंद करने के आरोप में एक सेशन कोर्ट के निर्देश के बाद इस्लामाबाद पुलिस ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

आज के राजनीतिज्ञों को शास्त्रीजी का संदेश
शास्त्रीजी के इन विचारों में स्वच्छ राजनीति की झलक मिलती है जो आज की समझौतावादी व अनैतिक राजनीति के लिए प्रेरणास्पद है।

अल-शेख तो छूट गया पीछे पड़ी है शर्म
जबसे गिलानी शर्म-अल-शेख से शेखचिल्ली बन लौटे हैं और डॉक्टर सिंह ‘शर्म’ लेकर, तमाम विपक्षी पार्टियां उनके पीछे हाथ धोकर पड़ी हैं।

संपादकीय - शहरी फेरीवालों का उपेक्षित दर्द
समूचे तंत्र में ऐसी संवेदनशीलता लाने की जरूरत है जिससे वह एक असंगठित किंतु समाज के लिए जरूरी तबके का महत्व समझे और स्वीकार करे।

2000 साल पुराना है यह खेल
बैडमिंटन की शुरुआत २क्क्क् साल पहले ग्रीस में हुई मानी जाती है। सोलहवीं सदी में इसी से मिलता-जुलता एक खेल हानेतसुकी जापान में खेला जाता था।

द हिंदू से : कहां खो गए हमारे राष्ट्रीय स्मारक ?
शहरीकरण और विकास परियोजनाओं की भेंट चढ़ती जा रही हैं हमारी विरासतें।

रांका और बांका ने सोने पर डाली धूल
रांका ने वन के रास्ते में मुहरों की थैली पड़ी देखी तो उस पर मिट्टी डालने लगे। यह देखकर पत्नी बांका ने उनसे कहा- सोने और मिट्टी में आखिर....

संपादकीयः सरकारी तंत्र ने जागने में बहुत देर कर दी
बीमारियों के तेजी से फैलने के लिए हमारे यहां आदर्श परिस्थितियां हैं। फिर स्वाइन फ्लू जैसी आपदाओं से निपटने के लिए हम पहले से तैयार क्यों नहीं होते?

ताकत का इस्तेमाल शांति के लिए
दुनिया याद रखेगी कि पहला बम हिरोशिमा में एक सैन्य अड्डे पर गिराया गया था, क्योंकि हम नागरिकों को नहीं मारना चाहते थे।

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